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मई, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

bhasha

भले हीं हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा हिंदी हो लेकिन आज इस भाषा को हमारे देश में हीं तबजो नहीं दिया जा रहा है लोग अब इस भाषा से इस कदर कतराते हैं जैसे आज से कुछ दसक पहले अंग्रेजी से... हिंदी बोलने वाले लोगों को इस देश में गिरे हुए निगाहों से देखा जाता है.ये वही देश है जहाँ बड़े-बड़े हिंदी साहित्यकार पैदा हुए थे..लेकिन आज अंग्रेजी बोलने वाले को यहाँ जयादा तबजो दिया जाता है...उन्हें